# started 2014-08-16T13:53:22Z "होंगे कामयाब, होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन, हो, हो, मन में है विश्वास पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन होगी शान्ति चारों ओर होगी शान्ति चारों ओर होगी शान्ति चारों ओर एक दिन हो, हो, मन में है विश्वास पूरा है विश्वास होगी शान्ति चारों ओर एक दिन हम चलेंगे साथ साथ डाले हाथों में हाथ हम चलेंगे साथ साथ एक दिन हो, हो, मन में है विश्वास पूरा है विश्वास हम चलेंगे साथ साथ एक दिन नहीं डर किसी का आज नहीं भय किसी का आज नहीं डर किसी का आज के दिन हो, हो, मन में है विश्वास पूरा है विश्वास नहीं डर किसी का आज के दिन"@hi . "आलवार सन्त नयनार सूरदास तुलसीदास मीरा बाई कबीर रहीम त्यागराज आण्डाल नरसिंह महेता ज्ञानेश्वर पुरंदरदास चैतन्य महाप्रभु जनाबाई तुकाराम मलिक मोहम्मद जायसी महिपति"@hi . "दैनिक पूजा विधि हिन्दू धर्म की कई उपासना पद्धतियों में से एक है । ये एक दैनिक कर्म है । विभिन्न देवताओं को प्रसन्न करने के लिये कई मन्त्र बताये गये हैं, जो लगभग सभी पुराणों से हैं । वैदिक मन्त्र यज्ञ और हवन के लिये होते हैं ।पूजा की रीति इस तरह है : पहले कोई भी देवता चुनें, जिसकी पूजा करनी है। फ़िर विधिवत निम्नलिखित मन्त्रों (सभी संस्कृत में हैं) के साथ उसकी पूजा करें । पौराणिक देवताओं के मन्त्र इस प्रकार हैं : विनायक : ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . सरस्वती : ॐ सरस्वत्यै नमः ."@hi . "भारत अनेक संघीय राज्यों का एक संघ है। इसमें अट्ठाईस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।."@hi . "अंग्रेज़ी कैलेण्डर के अनुसार एक साल में बारह महीने होते हैं | हिन्दी में इन्हें निम्न नामों से जाना जाता है | जनवरी फ़रवरी मार्च अप्रैल मई जून जुलाई अगस्त सितम्बर अक्टूबर नवम्बर दिसम्बर"@hi . "शब्दकोश (अन्य वर्तनी:शब्दकोष) एक बडी सूची या ऐसा ग्रंथ जिसमें शब्दों की वर्तनी, उनकी व्युत्पत्ति, व्याकरणनिर्देश, अर्थ, परिभाषा, प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्निवेश हो । शब्दकोश एकभाषीय हो सकते हैं, द्विभाषिक हो सकते हैं या बहुभाषिक हो सकते हैं। अधिकतर शब्दकोशों में शब्दों के उच्चारण के लिये भी व्यवस्था होती है, जैसे - अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि में, देवनागरी में या आडियो संचिका के रूप में। कुछ शब्दकोशों में चित्रों का सहारा भी लिया जाता है। अलग-अलग कार्य-क्षेत्रों के लिये अलग-अलग शब्दकोश हो सकते हैं; जैसे - विज्ञान शब्दकोश, चिकित्सा शब्दकोश, विधिक (कानूनी) शब्दकोश, गणित का शब्दकोश आदि।सभ्यता और संस्कृति के उदय से ही मानव जान गया था कि भाव के सही संप्रेषण के लिए सही अभिव्यक्ति आवश्यक है। सही अभिव्यक्ति के लिए सही शब्द का चयन आवश्यक है। सही शब्द के चयन के लिए शब्दों के संकलन आवश्यक हैं। शब्दों और भाषा के मानकीकरण की आवश्यकता समझ कर आरंभिक लिपियों के उदय से बहुत पहले ही आदमी ने शब्दों का लेखाजोखा रखना शुरू कर दिया था। इस के लिए उस ने कोश बनाना शुरू किया। कोश में शब्दों को इकट्ठा किया जाता है।"@hi . "यूनिकोड (Unicode), प्रत्येक अक्षर के लिए एक विशेष संख्या प्रदान करता है, चाहे कोई भी कम्प्यूटर प्लेटफॉर्म, प्रोग्राम अथवा कोई भी भाषा हो। यूनिकोड स्टैंडर्ड को एपल, एच.पी., आई.बी.एम., जस्ट सिस्टम, माइक्रोसॉफ्ट, ऑरेकल, सैप, सन, साईबेस, यूनिसिस जैसी उद्योग की प्रमुख कम्पनियों और कई अन्य ने अपनाया है। यूनिकोड की आवश्यकता आधुनिक मानदंडों, जैसे एक्स.एम.एल, जावा, एकमा स्क्रिप्ट (जावास्क्रिप्ट), एल.डी.ए.पी., कोर्बा 3.0, डब्ल्यू.एम.एल के लिए होती है और यह आई.एस.ओ/आई.ई.सी."@hi . "वेद शब्द का अर्थ 'ज्ञान' है। वेद-पुरुष के शिरोभाग को उपनिषद् कहते हैं। उप (व्यवधानरहित) नि (सम्पूर्ण) षद् (ज्ञान)। किसी विषय के होने न होने का निर्णय ज्ञान से ही होता है। अज्ञान का अनुभव भी ज्ञान ही कराता है। अतः ज्ञान को प्रमाणित करने के लिए ज्ञान से भिन्न किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं है। उपनिषद् का अन्य अर्थ उप(समीप) निषत् -निषीदति-बैठनेवाला। अर्थात- जो उस परम तत्व के समीप बैठता हो। उपनिषद्यते-प्राप्यते ब्रह्मात्मभावोऽनया इति उपनिषद् ।अर्थात्-जिससे ब्रह्म का साक्षात्कार किया जा सके,वह उपनिषद् है।मुक्तिकोपनिषद् में एक सौ आठ (१०८) उपनिषदों का वर्णन आता है, इसके अतिरिक्त अडियार लाइब्रेरी मद्रास से प्रकाशित संग्रह में से १७९ उपनिषदों के प्रकाशन हो चुके है। गुजराती प्रिटिंग प्रेस बम्बई से मुदित उपनिषद्-वाक्य-महाकोष में २२३ उपनिषदों की नामावली दी गई है, इनमें उपनिषद(१) उपनिधि-त्स्तुति तथा (२)देव्युपनिषद नं-२ की चर्चा शिवरहस्य नामक ग्रंथ में है लेकिन ये दोनों उपलब्ध नहीं हैं तथा माण्डूक्यकारिका के चार प्रकरण चार जगह गिने गए है इस प्रकार अबतक ज्ञात उपनिषदो की संख्या २२० आती हैः- कुल ज्ञात उपनिषद मुख्य १०८ उपनिषद्१-ईशावास्योपनिषद् (शुक्लयजर्वेदीय)२-अक्षिमालिकौपनिषद् (ऋग्वेदीय)३-अथर्वशिखोपनिषद् (सामवेद)४-अथर्वशिर उपनिषद् (सामवेद)५-अद्वयतारकोपनिषद् (शुक्लयजुर्वेदीय)६-अद्वैतोपनिषद्७-अद्वैतभावनोपनिषद्८-अध्यात्मोपनिषद् (शुक्लयजर्वेदीय) ९-अनुभवसारोपनिषद्१०-अन्नपुर्णोंपनिषद् (सामवेद)११-अमनस्कोपनिषद्१२-अमृतनादोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)१३-अमृतबिन्दूपनिषद्(ब्रह्मबिन्दूपनिषद्) (कृष्णयजुर्वेदीय)१४-अरुणोपनिषद्१५अल्लोपनिषद१६-अवधूतोपनिषद्(वाक्यात्मक एवं पद्यात्मक) (कृष्णयजुर्वेदीय)१७-अवधूतोपनिषद्(पद्यात्मक)१८-अव्यक्तोपनिषद् (सामवेद)१९-आचमनोपनिषद्२०-आत्मपूजोपनिषद्२१-आत्मप्रबोधनोपनिषद्(आत्मबोधोपनिषद्) (ऋग्वेदीय)२२-आत्मोपनिषद्(वाक्यात्मक) (सामवेद)२३-आत्मोपनिषद्(पद्यात्मक)२४-आथर्वणद्वितीयोपनिषद्२५-आयुर्वेदोपनिषद्२६-आरुणिकोपनिषद्(आरुणेय्युपनिषद्) (सामवेद)२७-आर्षेयोपनिषद्२८-आश्रमोपनिषद्२९-इतिहासोपनिषद्(वाक्यात्मक एवं पद्यात्मक)३०-ईसावास्योपनिषदउपनषत्स्तुति(शिव रहस्यान्तर्गत,अबी तक अनुपलब्ध है।)३१-ऊध्वर्पण्ड्रोपनिषद् (वाक्यात्मक एवं पद्यात्मक)३२-एकाक्षरोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)३३-ऐतेरेयोपनिषद्(अध्यायात्मक) (ऋग्वेदीय)३४-ऐतेरेयोपनिषद्(खन्ड़ात्मक)३५-ऐतेरेयोपनिषद्(अध्यायात्मक)३६-कठरुद्रोपनिषद्(कण्ठोपनिषद्) (कृष्णयजुर्वेदीय)३७-कठोपनिषद्३८-कठश्रुत्युपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)३९-कलिसन्तरणोपनिषद्(हरिनामोपनिषद्) (कृष्णयजुर्वेदीय)४०-कात्यायनोपनिषद्४१-कामराजकीलितोद्धारोपनिषद्४२-कालाग्निरुद्रोपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)४३-कालिकोपनिषद्४४-कालिमेधादीक्षितोपनिषद्४५-कुण्डिकोपनिषद् (सामवेद)४६-कृष्णोपनिषद् (सामवेद)४७-केनोपनिषद् (सामवेद )४८-कैवल्योपनिषद् (कृष्णयजुर्वेदीय)४९-कौलोपनिषद्५०-कौषीतक